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फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

वर्तमान की बात करें तो किसानों के खेतों में रबी की फसलें लहला रही हैं और जल्द ही इनकी कटाई की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए हम 4 कृषि यंत्रों (4 Farm Machinery ) की जानकारी देने जा रहे हैं। इनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य सहजता से कर सकते हैं। इन यंत्रों से किसानों की लागत भी कम आएगी। साथ ही, कटाई का कार्य भी शीघ्रता से हो सकेगा।

फसलों की कटाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्र

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन 
  • रीपर बाइंडर मशीन 
  • कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 
  • मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर एक ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेस करती है एवं साफ करती है। स्ट्रॉ रीपर को ट्रैक्टरों के साथ जोडक़र इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत काफी कम होती है। इस यंत्र पर कई राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी का फायदा भी किसानों को प्रदान किया जाता है।

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विशेषताएं और लाभ

स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इस कृषि यंत्र को छोटे और बड़े, दोनों किसान सुगमता से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के उपयोग से फसल काटने पर कई तरह के फायदे किसानों को मिलते हैं, जैसे गेहूं के दानों के साथ-साथ भूसा भी मिल जाता है। यह भूसा पशुओं के चारे के काम में आता है। इसके अतिरिक्त जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उसको ये मशीन सहजता से उठा लेती है। जिसको किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं।

रीपर बाइंडर मशीन 

रीपर बाइंडर मशीन का इस्तेमाल फसल की कटाई के लिए किया जाता है। यह मशीन फसल की कटाई करने के साथ – साथ रस्सियों से उनका बंडल भी बनाती है। रीपर बाइंडर की मदद से 5 – 7 से. मी. ऊँची फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है। इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जेई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बना सकते है।

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विशेषताएं और लाभ 

रीपर बाइंडर के इस्तेमाल से फसल कटाई का काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से धन, समय और मजदूरी सभी की बचत होती है। रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर खड़ी फसल को काट सकती है। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल कटाई के अतिरिक्त उनका बंडल भी निर्मित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी विशेषता है, कि इसका उपयोग बारिश के मौसम में भी किया जा सकता है। फसल के अतिरिक्त खेतों में उगने वाली झाडियों की भी सहजता से कटाई की जा सकती है। रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना आसान होता है। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से एक साथ कटाई तथा सफाई का कार्य किया जा सकता है। इस मशीन की सहायता से सरसों, धान, सोयाबीन, कुसुम आदि की कटाई और सफाई का कार्य कर सकते हैं। इसमें समय और लागत दोनों ही बहुत कम लगती है।

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विशेषताएं और लाभ 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का प्रयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। इससे फसल की कटाई से लेकर फसल के दानों की सफाई तक का काम किया जाता है। इसके उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। इस मशीन के इस्तेमाल से किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि से बच सकते हैं और वक्त रहते फसलों की कटाई कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से किसान खेत में आड़ी-तिरछी पड़ी फसल को भी काट सकते हैं।

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

यह मशीन किसानों के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगी मशीन मानी जाती है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन से बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर, मूंगफली, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल के दाने और भूसे को भिन्न-भिन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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विशेषताएं और लाभ

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन की मुख्य विशेषता है, कि इसके उपयोग से फसल की कटाई कर अनाज और भूसे को अलग किया जाता है। यह मशीन फसलों के दाने को साफ-सुथरे ढ़ंग से अलग करता है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  खेतों में जहाँ मशीन नहीं पहुँच सकती है, वहाँ हाथ का रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) से खेती के लाभ और खास बातें

कल्टीवेटर(Cultivator) को वैसे तो साधारण कृषि यंत्र बताया जाता है लेकिन यदि हम पारंपरिक खेती के तौर-तरीकों को याद करें तो किसान भाइयों को इस बात का अहसास हो जायेगा कि यह कल्टीवेटर खेती-किसानी के लिए बहुत ही लाभकारी यंत्र है। 

किसान भाई जो काम हफ्तों में अपना पसीना बहाकर कर पाते थे वो काम कल्टीवेटर चंद घंटों में ही कर देता है। कल्टीवेटर से किसानों की जहां अनेक परेशानियां कम हुई हैं, वहीं खेती के उत्पादन में लाभ हुआ है और खेतों को बुवाई के लिए तैयार करना आसान हो गया है।

कल्टीवेटर(Cultivator) क्या है

खेती के आधुनिक तरीके आने के बाद खेती करने का स्वरूप ही बदल गया है और खेती करना अब बहुत आसान हो गया है। जब से बैलों की जगह ट्रैक्टर आ गये हैं तब से प्राचीन कृषि यंत्रों की जगह नये कृषि यंत्रों ने जगह ले ली है, इसमें कल्टीवेटर सबसे प्रमुख है। 

जो खेतों की जुताई बैलों व हल से की जाती थी, वो काम इस कल्टीवेटर से किये जाते हैं । साथ ही अनेक अन्य ऐसे काम भी किये जाते हैं जो पैदावार को बढ़ाने में सहायक हैं। 

कल्टीवेटर बैल को जोत कर भी चलाये जा सकते हैं और ट्रैक्टर के पीछे लगाकर खेत की जुताई की जा सकती है। यह कल्टीवेटर 6HP से लेकर 15HP तक आता है।

पशू चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

पशु चालित कल्टीवेटर भी होता है। इस कल्टीवेटर को पशु बैल के पीछे जोत कर चलाया जा सकता है। किन्तु वर्तमान समय में ट्रैक्टर की लोकप्रियता के कारण पशुओं वाले कल्टीवेटर का चलन नहीं देखा जाता है।

ट्रैक्टर चालित कल्टीवेटर(Cultivator):

टैक्टर के पीछे हाइड्रोलिक के माध्यम से कल्टीवेटर चलाया जाता है। ये कल्टीवेटर जमीन की जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किये जाते हैं। कंकरीली जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और सामान्य जमीन के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। इसके साथ गहरी जुताई करने के लिए अलग कल्टीवेटर होता है और उथली जुताई के लिए अलग कल्टीवेटर होता है। 

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इनमें से प्रमुख कल्टीवेटर(Cultivator) इस प्रकार हैं:-

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर(Cultivator): पथरीली मिट्टी व या फसलों की ठूंठ वाले खेतों उपयोग किया जाता है। ट्रैक्टर से चलने वाले इस कल्टीवेटर में कई स्प्रिंग लगी होती है। स्प्रिंग की वजह से जुताई करते समय फार पर पड़ने वाले दबाव को कल्टीवेटर सहन कर लेता है और टाइन नहीं टूटने से बच जाता है। इस कारण यह कल्टीवेटर बिना किसी नुकसान के आसानी से मनचाही जुताई कर देता है।
  2. स्प्रिंग रहित कल्टीवेटर (रिजिड लाइन कल्टीवेटर): बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर का इस्तेमाल कंकरीली या पथरीली भूमि में नहीं किया जाता है। इसका प्रयोग साधारण भूमि में किया जाता है। इसमें टाइन मजबूती के साथ फ्रेंम से इस प्रकार से लगाये जाते हैं कि जुताई करते समय दबाव पड़ने पर ये टाइन अपने स्थान से हटे नहीं। इस कल्टीवेटर की एक और खास बात यह है कि टाइन की दूरी को अपने  हिसाब से दूर या पास किया जा सकता है। यह कल्टीवेटर खेत में खरपतवार को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है।
  3. डक फुट कल्टीवेटर(Cultivator): इन दोनों कल्टीवेटरों की अपेक्षा डक फुट कल्टीवेटर हल्का होता है। इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल उथली जुताई करने और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसकी बनावट बिना स्प्रिंग वाले कल्टीवेटर की तरह होती है। इसमें फारों की संख्या जरूरत और आवश्यकता के अनुसार कम या ज्यादा की जा सकती है। इसमें टाइन का आकार बत्तख के पैर जैसा होता है इसलिये इस कल्टीवेटर को डक फूट कल्टीवेटर कहा जाता है।

कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई के फायदे

कल्टीवेटर से अनेक तरह की जुताई की जा सकती है। सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि जुताई कितने प्रकार की होती है और कल्टीवेटर(Cultivator) किस जुताई में कितना मददगार साबित हो सकता है। 

खेत को तैयार करने के लिए हमें वि•िान्न प्रकार की जुताई करनी होती है । इसमें ग्रीष्म ऋतु की जुताई, गहरी जुताई, छिछली जुताई, अधिक समय तक जुताई, हराई या हलाई की जुताई की जाती है।

  1. कठोर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए गहरी जुताई की जाती है। इस काम में कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। इस तरह से खेत की तैयारी गहरी जड़ों वाली फसलों के लिए की जाती है।
  2. इसी तरह जिन फसलों की जड़े अधिक गहराई में नहीं जातीं हैं उनके लिए छिछली जुताई की जाती है। उसमें भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम में आता है।
  3. ग्रीष्म ऋतु में अधिक जुताई इसलिये की जाती है ताकि उस मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक रोग भी दूर हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अधिक समयतक जुताई करने में कल्टीवेटर बहुत लाभकारी साबित होता है।
  4. एक फसल लिये जाने के बाद नई फसल की तैयारी के लिए कल्टीवेटर(Cultivator) बहुत काम आता है। पहले तो वह खेत की मिट्टी को ढीला करता है और फसल के अवशेष को खेत से बाहर करता है। उसे बुवाई के लिए तैयार करता है।
  5. बुवाई से पहले खेत में यदि नर्सरी लगाने की क्यारियां बनानी होतीं हैं तो कल्टीवेटर(Cultivator) उसमें कभी काम आता है।
  6. हैरों, पॉवर टिलर, रोटावेटर की अपेक्षा कल्टीवेटर सस्ता व हल्का होता है, जिससे कम एचपी वाले ट्रैक्टरों में लगाकर जुताई की जा सकती है।
  7. पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसानों को कल्टीवेटर(Cultivator) से जुताई करने वा करवाने से पैसा और समय तो बचता ही है । साथ मजदूरों की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
  8. छिटकवां विधि से बोई गई बीजों की मिट्टी में एक समान रूप से मिलाने तथा ढकने के लिए इस यंत्र का प्रयोग किया जाता है।
  9. पंक्तियों में बोई फसलों में निराई-गुड़ाई का कार्य भी कल्टीवेटर(Cultivator) से किया जाता है।
  10. इसकी सहायता से फसल की जड़ो पर मिट्टी चढ़ाने का काय किया जा सकता ह।
  11. बुआई से पहले खेत में खाद को मिट्टी में मिलाने में भी कल्टीवेटर(Cultivator) काम करता है।

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कल्टीवेटर

कल्टीवेटर(Cultivator) से मिलने वाले खेती के अन्य लाभ

1.बुआई से पहले कल्टीवेटर के माध्यम से खरपतवार हटाने और गुड़ाई का काम किया जा सकता है। जो काम पहले मजदूर काफी समय में करते थे वो काम कल्टीवेटर अकेला ही चंद घंटों में कर देता है। इससे कृषि लागत में कमी आती है और किसान भाइयों को लाभ मिलता है। 

 2.फसल के बीच में निराई-गुड़ाई कल्टीवेटर(Cultivator) से किये जाने के लिए फसलों को कतार में बोया जाता है। इससे किसान भाइयों को यह लाभ होता है कि कतार में बीज बोने से बीज की बर्बादी नहीं होती है और फसल भी अधिक होती है।

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 3.कल्टीवेटर का प्रयोग मिट्टी की जुताई के लिये किया जाता है। इसके प्रयोग से खेत के खरपतवार व घास जड़ सहित उखड़ कर नष्ट हो जाती है या मिट्टी से अलग होकर जमीन के ऊपर आ जाती है जो बाद में सूर्य की गर्मी से सूख कर नष्ट हो जाती है।

कौन सी फसल के लिए कौन सा कल्टीवेटर(Cultivator) है उपयोगी

  1. स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर मुख्यत: दलहनी व जड़वाली सब्जियों की फसलों के लिए उपयोगी होता है। क्योंकि इससे गहरी जुताई की जा सकती है। स्प्रिंग युक्त कल्टीवेटर से गहरी जुताई से मूंग, मोठ, बरसीम, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, आलू, मूली, गाजर, शकरकद, चना आदि मे अधिक लाभ मिलता है।
  2. डक फुट कल्टीवेटर से उथली जुताई से गेहूं, जौ, ज्वार, जई, सरसों, आदि फसलों में अधिक लाभ मिलता है।

तेज मशीनी चाल के आगे आज भी कायम बैलों की जोड़ी संग किसान की कछुआ कदमताल

तेज मशीनी चाल के आगे आज भी कायम बैलों की जोड़ी संग किसान की कछुआ कदमताल

रोबोटिक्स मिश्रित जायंट फार्म इक्विपमेंट मशीनरी (Giant Farm Equipment Machinery), यानी विशाल कृषि उपकरण मशीनरी की तेज चाल दौड़ में परंपरागत किसानी की विरासत, गाय-बैल-किसान की पहचान धुंधली पड़ती जा रही है। हालांकि कुछ भूमिपुत्र ऐसे भी हैं, जो बैलों की जोड़ियों के गले में बंधी घंटी की खनक के साथ, खेतों में कछुआ गति से कदम ताल करते यदा-कदा नजर आ ही जाते हैं। जी हां, भारत से इंडिया में तब्दील होते आधुनिक देश में पारंपरिक किसानी के तरीकों में तेजी से बदलाव हुआ है। काम में मददगार कृषि प्रौद्योगिकी उपकरणों की उपलब्धता के कारण मौसम आधारित खेती, अवसर आधारित हो गई है। लेकिन देश के कई हलधर ऐसे भी हैं जिन्होंने पारंपरिक खेती की असल पहचान, हलधर किसान की छवि को बरकरार रखा है।

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भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण हालांकि कहना गलत नहीं होगा कि, दो बैलों और हल के साथ खेतों की जुताई करते किसान की परंपरा अब शायद अपने अंतिम दौर में है। ट्रैक्टर, मशीनों से किसानी की नई पीढ़ी अब बैल-हल से खेती में रुचि नहीं लेती। मेरे देश की धरती सोना-हीरा-मोती उगले गीत सुनकर यदि कोई अक्स उभरता है, तो वह है हरे-भरे खेत में बैलों की जोड़ी, हल के साथ खेत जोतता किसान। यह वास्तविकता अब सपना बनती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के ठेठ ग्रामीण इलाकों में ही, आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को ही इस पहचान के साथ खेत में काम करते देखा जा सकता है। इन किसानों को देखकर पता लगाया जा सकता है, कि किस तरह हमारे पूर्वज अन्नदाता किसानों ने हल और बैलों की मदद से, अथक परिश्रम कर देश का पेट, मिट्टी में से अनमोल अनाज उगा कर भरा।

खेत जोतने से लेकर कटाई, सप्लाई सब मशीनी

आज के मशीनी दौर में किसानी के उपयोग में आने वाले मददगार उपकरणों की सुलभता ने भी पारंपरिक किसानी को पीछे किया है। बैलों की शक्ति के मुकाबले कई अश्वों की ताकत से लैस, कई हॉर्सपॉवर का शक्तिशाली ट्रैक्टर चंद घंटे में कई एकड़ जमीन जोत सकता है। दैत्याकार मशीनें अब कटाई-मड़ाई भी पल भर में करने में मददगार हैं। प्रतिकूल मौसम में भी मददगार मशीनी मदद से समय और श्रम की भी बचत होती है। कल्टीवेटर, रोटावेटर, हैरो जैसे तकनीक आधारित हल मिट्टी की जुताई बेहतर तरीके से कर देते हैं। [embed]https://youtu.be/AjPz41c7pls[/embed]

लेकिन हां….बड़े धोखे हैं इस राह में...

सनद रहे तकनीक आधारित काम में प्राकृतिक नुकसान की भी संभावना बढ़ जाती है। पर्यावरण सुरक्षा की दशा में चौकन्ने होते देशों को सोचना होगा कि, इन मशीनों से खेत पर काम करने से मिट्टी की गुणवत्ता में वह सुधार संभव नहीं जो पारंपरिक तरीके की किसानी में निहित है।

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धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी मशीनों आधारित अधिक गहरी खुदाई से जमीन और खेत की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जीव-जंतुओं को नुकसान होता है। जबकि खेत में बैलों, जानवरों के उपयोग से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। कहना गलत नहीं होगा कि, तकनीक आधारित ट्रेक्टर के धुएं ने हल-बैल और किसान की परंपरा का गुड़-गोबर कर अतीत की स्मृति को धुंधला दिया है।

छोटी जोत के किसान

छोटी जोत के गैर साधन संपन्न किसानों को हल और बैल आधारित किसानी करते देखा जा सकता है। इसके भी कई गूढ़ कारण हैं।

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पुरानी टेक्नीक

हल-बैल वाली युक्ति में लकड़ी का बना एक जुआ होता है। इसमें बने दो बड़े खानों को बैलों की डील पर पहनाया जाता है। इससे दोनों बैल एक समानांतर दूरी पर खड़े हो जाते हैं। इसके बाद लकड़ी अथवा लोहे की छड़ से लोहे का एक हल जुड़ा होता है। इस हल का जमीन को फाड़ कर उसे पलटने  वाला नुकीला भाग नीचे की ओर होता है। इसे संभाल कर दिशा देने के लिए ऊपर की तरह एक मुठिया बनी होती है, जिसे किसान हाथों से नियंत्रित कर सकता है। बाई ओर चलने वाले बैल से बंधी रस्सी जिसे नाथ बोलते हैं को किसान अपने एक हाथ में पकड़ कर रखता है। इस नाथ से बैलों की दिशा परिवर्तन में मदद मिलती है। खेतों में हल के माध्यम से होने वाली जुताई को  हराई बोलते हैं। पारंपरिक खेती के अनुभवी किसानों के अनुसार छोटी जोत में ट्रैक्टर के माध्यम से जुताई असंभव हो जाती है। जबकि हल-बैल के माध्यम से खेत की अधिक-से अधिक भूमि उपजाऊ बनाई जा सकती है। हालांकि मेकर्स ने छोटी जोत में मददगार मिनी ट्रेक्टरों का दावा भी कर दिया है।